Good Hindi Poem About World : Kaun Kiska Saga Hai……… - Poetry Blog
Hindi poem on world and relationships

Good Hindi Poem About World : Kaun Kiska Saga Hai………

आज की इस दौड़ती-भागती दुनिया में रिश्तों की सच्चाई, और वफादारी की कमी को नजरअंदाज करना मुश्किल है। हम सभी अपने जीवन में कभी न कभी ऐसे मोड़ पर आते हैं जहाँ यह सवाल मन में उठता है –क्या जो हमारे सबसे करीब हैं, वो वाकई हमारे हैं? इन्हीं जज्बातों और सवालों से जूझती एक कविता लेकर आया हूँ –”कौन किसका सगा है…”
यह कविता न केवल समाज के दोहरे मापदंडों पर सवाल उठाती है, बल्कि रिश्तों की खोखली होती बुनियाद पर भी एक गहरा प्रहार करती है। उम्मीद है कि यह रचना आपको सोचने पर मजबूर करेगी और कहीं न कहीं आपकी जिंदगी से भी जुड़ जाए।

कौन  किसका  सगा  हैं ………
Hindi poem on world and relationships
दुनिया  में  कौन  किसका  सगा  हैं

यहाँ  मुश्किल  से  मिलती  वफा  हैं

योंतो  वफा  चाहते  हैं  सब

पर  जब  बात  खुद  पे  आती  हैं

वफा  के  मायने  बदल  जाते  हैं

दुनिया  में  कौन  किसका  सगा  हैं

यहाँ  मुश्किल  से  मिलती  वफा  हैं

जमाने  भर  को  देते  हैं  वो  उपदेश

पर  खुद  पे  कुछ  लागू  नहीं  होता

दुनिया  में  कौन  किसका  सगा  हैं

यहाँ  मुश्किल  से  मिलती  वफा  हैं

रिश्ते  बनाना  सब  चाहते  हैं

रिश्तों  से  आशा  सब  करते  हैं

पर  रिश्ते  निभाना  कोई  चाहता  नहीं

दुनिया  में  कौन  किसका  सगा  हैं

यहाँ  मुश्किल  से  मिलती  वफा  हैं ………

सुरेश  के
सुर…………



Who is true to whom……..
Hindi poem on world and relationships

Who in the world is true

 to whom……….

Loyalty is hard to come by here.

Although, everyone wants loyalty

but when the matter comes to itself,

the meaning of loyalty changes.

Who in the world is true

 to whom……….

Loyalty is hard to come by here.

Preach to the whole world

but nothing applies to itself.

Who in the world is true

 to whom……….

Loyalty is hard to come by here.

Everyone wants to build relationships.

Everyone hopes to relationships

but no one wants

to sustain relationships.

Who in the world is true

 to whom……….

                             Suresh Saini

Friends, यही थी मेरी एक छोटी-सी कोशिश इस जटिल दुनिया और बदलते रिश्तों को समझने की — “कौन किसका सगा है…” जिंदगी में अक्सर हम ऐसे पल से गुजरते हैं, जब लगता है कि रिश्तों की गर्माहट सिर्फ बातों में रह गई है, व्यवहार में नहीं। इस कविता के जरिए मैंने वही भावनाएँ और सवाल आपके सामने रखने की कोशिश की है।
अगर आपने भी कभी ऐसे जज्बात महसूस किए हों, तो नीचे comment में जरूर बताइए, आपके विचार और अनुभव पढ़कर खुशी होगी।


इस भाव के साथ मेरी एक और कविता याद आती है — “दुनिया नहीं रही अब पहले जैसी” जो इस बदलती दुनिया की सच्चाई को और गहराई से दर्शाती है।


 

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