New Meaningful Hindi Poem On Death : Mera Kya Hai......... - Poetry Blog
hindi-english poem about death

New Meaningful Hindi Poem On Death : Mera Kya Hai………

मृत्यु — एक ऐसा विषय है जिसे हम जीवनभर टालते रहते हैं, लेकिन अंत में उसी के सामने खड़े होते हैं। यह कविता “मेरा क्या है………” जीवन के उन्हीं पलों को छूती है जब इंसान अपनी अंतिम सांसों के बीच खुद से एक सच्चा सवाल करता है — क्या वाकई कुछ मेरा था?
इस कविता में एक व्यक्ति मृत्यु-शैय्या पर लेटा है और अपने पूरे जीवन पर पीछे मुड़कर देखता है। रिश्ते, प्रेम, परिवार, शरीर — सबकुछ जिसे उसने “मेरा” समझा, आज एक सवाल बनकर खड़ा है। कविता सरल शब्दों में गहरी बात कहती है: हम जो कुछ भी “मेरा” कहते हैं, वह अंत में कितना सच होता है?

मेरा  क्या  हैं……….
hindi-english poem about death
मेरे  माँ – बाप

मेरे  भाई – बहन

मेरी  पत्नी,  मेरे  बच्चे

न  जाने  क्या – क्या  हैं  मेरा

बचपन  से  जवानी  तक

जवानी  से  बुढ़ापे  तक

न  जाने  क्या – क्या  मेरा  हुआ

पर  आज  मृत्यु  शैय्या  पर  सोचता  हूँ

मेरा  क्या  हैं………

जीवन  भर  न  जाने  कितनी  बार

मैंने  मेरा – मेरा  किया  होगा

पर  आज  मेरा  क्या  हैं

ये  शरीर  जिसे  मैं  मेरा  कहता  था

मेरा  इस  पर  ही  कभी  अधिकार  नहीं  रहा

नहीं  तो  मैं  आज  मृत्यु  शैय्या  पे  नहीं  होता

कब  बीत  गया  बचपन

कब  ढल  गई  जवानी

आज  बुढ़ापा  अंतिम  साँसे  ले  रहा  हैं

मैं  पूछता  हूँ

कोई  मुझे  बता  दे  मेरा  क्या  हैं………

सुरेश  के
सुर………



What is mine……….
hindi-english poem about death

My parents.

My brothers and sisters.

My wife, my children.

I don’t know what all is mine.

From childhood to youth,

from youth to old age.

I don’t know

what all happened to me.

Today on my deathbed I think.

What is mine………

I don’t know throughout my life

how many times,

I must have said ‘mine, mine’

but what is mine today………

This body which I used to call mine,

I never had any right over it.

Otherwise

I would not be on my deathbed today.

When did childhood pass,

when my youth pass away.

Today old age is taking its last breaths.

I ask.

Someone tell me what is mine………

                                     Suresh Saini

इस कविता के अंत में, हम एक ऐसी सच्चाई से रूबरू होते हैं जो शायद सबसे कठिन है — कि इस जीवन में, जिसे हम “मेरा” कहते हैं, वो वास्तव में कभी हमारा था ही नहीं।
मृत्यु के द्वार पर खड़ा व्यक्ति जब पीछे मुड़कर देखता है, तो उसे अहसास होता है कि सब कुछ अस्थायी था — रिश्ते, शरीर, भावनाएं, और यहां तक कि वह अहं भी जो “मेरा” कहता रहा।
“मेरा क्या है…” सिर्फ एक सवाल नहीं है — यह एक दर्पण है, जो हमें अपने जीवन के भ्रमों को देखने का अवसर देता है।


जीवन और मृत्यु के सत्य को उजागर करती एक और कविता :“सच्चा  जीवन  जीने  वाले.……”


 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

DMCA.com Protection Status