New Inspirational Hindi Poem : Kuchh Hat Ke Socho……….. - Poetry Blog
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New Inspirational Hindi Poem : Kuchh Hat Ke Socho………..

यह कविता आपको आम सोच की दीवारों से बाहर निकलने और कुछ नई दिशा, नई उड़ान, और नई राह की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। “कुछ हट के सोचो…” एक आह्वान हैं — खुद से, अपने सपनों से, और इस दुनिया से भी — कि अब वक्त आ गया हैं रटे-रटाए रास्तों को छोड़कर, अपने भीतर की आवाज को सुनने का। तो आइए, एक नई सोच के साथ, इस प्रेरणादायक कविता का आनंद लें…

कुछ  हट  के  सोचो
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कुछ  हट  के  सोचो

वक्त  नहीं  हैं

कुछ  झट  से  सोचो

रट  के  मत  सोचो

कुछ  हट  के  सोचो

अपने  मन  की  सुनो

अपने  दिल  की  सुनो

अपने  दिमाग  की  सुनो

कुछ  दुनिया  की  भी  सुनो

लेकिन  कुछ  हट  के  सोचो

कुछ  सपनों  सा  सोचो

दुनिया  से  अलग  कुछ  बोलो

थोड़ा  सिर  उठाकर  आसमान  को  भी  टटोलो

कुछ  हट  के  सोचो

घिसे – पिटे  रास्तों  पर  मत  चलो

जो  लगे  असंभव

उसे  संभव  करने  की  सोचो

कहीं  लिखा – पढ़ा  जो  रास्ता  नहीं

उस  रास्ते  पर  चलने  की  सोचो

हद  हो  गई

अब  तो  कुछ  हट  के  सोचो

अपना  रास्ता  खुद  सोचो

मंजिल  खुद  चलकर  आएगी

बस  तुम  कुछ  हट  के  सोचो……….

सुरेश  के
सुर……….



Think something different……….
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Think something different.

There is no time.

Think something quickly.

Don’t think by rote.

Think something different.

Listen to your soul.

Listen to your heart.

Listen to your mind.

Listen to the world also.

But think something different.

Think something dreamy.

Say something different to the world.

Raise your head a little

and look at the sky.

Think of something different.

Don’t walk on the beaten paths.

Whatever seems impossible,

think of making it possible.

Think of walking on a path

that is not written or read anywhere.

Enough is enough.…………

Now think of something different.

Think of your own path.

The destination will come to you

on its own.

Just think out of the box……….

                            Suresh Saini

हर किसी की life में कभी न कभी ऐसा पल आता हैं जब वो सोचता हैं — क्या मैं सही रास्ते पर हूँ? “कुछ हट के सोचो…” सिर्फ एक कविता नहीं हैं, ये एक wake-up call हैं उन सबके लिए जो अपने सपनों को किसी डर, समाज या limited thinking की वजह से रोक देते हैं। ये कविता सिर्फ मेरे लिए नहीं हैं — ये हर उस इंसान को dedicate हैं जो भीड़ से अलग कुछ करना चाहता हैं, कुछ नया, कुछ अलहदा, कुछ हट के। अगर ये poem आपके अंदर की सोच को जगा गई हो, तो इसे जरूर share कीजिए — उन सबके साथ जो हर दिन कुछ नया सोचने की कोशिश कर रहे हैं।


अगर आपको “कुछ हट के सोचो…” पसंद आई हो,
तो मेरी ये दूसरी प्रेरणादायक कविता “चल पड़ा अकेला……” भी जरूर पढ़िए —


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