जिंदगी के मैदान में हर इंसान कभी-न-कभी हार-जीत की जंग लड़ता है। यह कविता “लौट आया हूँ जिंदा” उस जज्बे की कहानी है जो गिरकर भी दोबारा उठने की हिम्मत देता है। यह सिर्फ एक कविता नहीं, बल्कि एक एहसास है — कि जब तक सांस है, तब तक संघर्ष भी है।
लौट आया हूँ जिंदा………..

लौट आया हूँ जिंदा
मैदाने जंग से
मेरे दुश्मनों ने समझा
मैं मर गया हूँ
जश्न में पागल वो हो गए हैं
पर जश्न में शरीक होने
मैं भी पहुँच गया हूँ
जश्न में दोस्तों को भी पाकर
मैं फिर से मैदाने जंग में लौट आया हूँ
अब जिंदा लौटूंगा या मारा जाऊँगा
ये मुझे पता नहीं
बस कोई जाकर
मेरे दुश्मनों को खबर कर दें
मैं फिर से मैदाने जंग मैं लौट आया हूँ
जिन्दा हूँ बस लड़ने के लिए
लौट आया हूँ जिंदा………
सुरेश के
सुर………..
I am back alive…….

I am back alive,
from the battlefield.
My enemies understood,
I’m died.
They have gone crazy in celebration.
But to participate in the celebration,
I have also reached.
Having friends over to celebrate,
I have once again,
returned to the battlefield.
Now, I will return alive
or I will be killed.
I don’t know this.
Just someone go,
inform my enemies.
I have returned,
again to the battlefield.
I am alive just to fight.
I am back alive………
Suresh Saini
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