Best Hindi Poem on Money : Aaj Duniya Koi Aur Chalata hain.......... - Poetry Blog
Hindi/english poetry on money

Best Hindi Poem on Money : Aaj Duniya Koi Aur Chalata hain……….

कहते हैं पहले भावनाएँ दुनिया चलाती थीं, अब पैसा  चलाता है।
कविता “Aaj Duniya Koi Aur Chalata Hain” में यही सच्चाई बड़े सरल लेकिन गहरे शब्दों में कही गई है।
यह कविता समाज के उस पहलू को उजागर करती है जहाँ प्यार, विश्वास और रिश्ते तक पैसों के तराजू में तौले जाने लगे हैं।
हर पंक्ति हमें सोचने पर मजबूर करती है — क्या हमने सच में इंसानियत को पैसों के हाथों बेच दिया है?

आज  दुनिया  कोई  और  चलाता  हैं…………
 Hindi/english poetry on money
बहुत  खेल  दिखाता  हैं

सबको  नचाता  हैं

रिश्ते  भी  बनाता – बिगाड़ता  हैं

हमने  तो  सुना  था

दुनिया  ‘वो’  चलाता  हैं

पर  आज  पैसा  दुनिया  चलाता  हैं

रिश्ते – नाते,  वादे – कसमें

प्यार – मोहबब्त,  विश्वास – भरोसा

सबका  पहला  नाम  हैं  पैसा

पैसे  ने  सबकुछ  खरीद  लिया  हैं

न  ऐसे  न  वैसे  सबकुछ  हैं

अगर  जेब  में  हैं  पैसे

दुनिया  चलाना   मुश्किल  हो  गया  था

उसके  लिए

तो  उसने  भी  दुनिया

पैसों  के  हाथों  बेच  दी

आज  पैसा  दुनिया  चलाता  हैं…………

सुरेश  के
सुर………..



Someone else runs world…….
 Hindi/english poetry on money

Money shows a lot of games.

Money makes everyone dance.

It also

makes and breaks relationships.

I have heard.

God runs the world.

But today money runs the world.

Relationships, Promises, Oaths

Love and Trust……………

The first name is money.

Money buys everything.

Everything is Possible.

If you have money

in your pocket.

It had become difficult for God

to run the world.

So God sold the world to money.

Today money runs the world…….

                              Surseh Saini

आज की हकीकत यही है — पैसा हर रिश्ते और हर इंसान के बीच की दूरी बन चुका है।
अगर आपको यह सोचने पर मजबूर करने वाली कविता “Aaj Duniya Koi Aur Chalata Hain” पसंद आई हो, तो इसे Share करें और नीचे Comment में बताइए — क्या सच में आज दुनिया को “वो” नहीं, बल्कि “पैसा” चला रहा है?


अगर आपको यह सच्चाई बयां करती कविता “Aaj Duniya Koi Aur Chalata Hain” पसंद आई हो, तो पैसों की चाह और इंसानी सोच पर लिखी एक और गहरी कविता “Sabko Paisa Chahiye” भी जरूर पढ़ें — जो दिखाती है कि कैसे पैसा हमारी जरूरत से बढ़कर हमारी पहचान बन गया है।


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