आज की इस दौड़ती-भागती दुनिया में रिश्तों की सच्चाई, और वफादारी की कमी को नजरअंदाज करना मुश्किल है। हम सभी अपने जीवन में कभी न कभी ऐसे मोड़ पर आते हैं जहाँ यह सवाल मन में उठता है –क्या जो हमारे सबसे करीब हैं, वो वाकई हमारे हैं? इन्हीं जज्बातों और सवालों से जूझती एक कविता लेकर आया हूँ –”कौन किसका सगा है…”
यह कविता न केवल समाज के दोहरे मापदंडों पर सवाल उठाती है, बल्कि रिश्तों की खोखली होती बुनियाद पर भी एक गहरा प्रहार करती है। उम्मीद है कि यह रचना आपको सोचने पर मजबूर करेगी और कहीं न कहीं आपकी जिंदगी से भी जुड़ जाए।
कौन किसका सगा हैं ………
दुनिया में कौन किसका सगा हैं
यहाँ मुश्किल से मिलती वफा हैं
योंतो वफा चाहते हैं सब
पर जब बात खुद पे आती हैं
वफा के मायने बदल जाते हैं
दुनिया में कौन किसका सगा हैं
यहाँ मुश्किल से मिलती वफा हैं
जमाने भर को देते हैं वो उपदेश
पर खुद पे कुछ लागू नहीं होता
दुनिया में कौन किसका सगा हैं
यहाँ मुश्किल से मिलती वफा हैं
रिश्ते बनाना सब चाहते हैं
रिश्तों से आशा सब करते हैं
पर रिश्ते निभाना कोई चाहता नहीं
दुनिया में कौन किसका सगा हैं
यहाँ मुश्किल से मिलती वफा हैं ………
सुरेश के
सुर…………
Who is true to whom……..
Who in the world is true
to whom……….
Loyalty is hard to come by here.
Although, everyone wants loyalty
but when the matter comes to itself,
the meaning of loyalty changes.
Who in the world is true
to whom……….
Loyalty is hard to come by here.
Preach to the whole world
but nothing applies to itself.
Who in the world is true
to whom……….
Loyalty is hard to come by here.
Everyone wants to build relationships.
Everyone hopes to relationships
but no one wants
to sustain relationships.
Who in the world is true
to whom……….
Suresh Saini
Friends, यही थी मेरी एक छोटी-सी कोशिश इस जटिल दुनिया और बदलते रिश्तों को समझने की — “कौन किसका सगा है…” जिंदगी में अक्सर हम ऐसे पल से गुजरते हैं, जब लगता है कि रिश्तों की गर्माहट सिर्फ बातों में रह गई है, व्यवहार में नहीं। इस कविता के जरिए मैंने वही भावनाएँ और सवाल आपके सामने रखने की कोशिश की है।
अगर आपने भी कभी ऐसे जज्बात महसूस किए हों, तो नीचे comment में जरूर बताइए, आपके विचार और अनुभव पढ़कर खुशी होगी।
इस भाव के साथ मेरी एक और कविता याद आती है — “दुनिया नहीं रही अब पहले जैसी” जो इस बदलती दुनिया की सच्चाई को और गहराई से दर्शाती है।