Hindi Poem On Changing Life Of Village : Shahar Ka Chalan.......... - Poetry Blog
Hindi-English Poem on Village

Hindi Poem On Changing Life Of Village : Shahar Ka Chalan……….

“शहर का चलन” — यह कविता गांव की बदलती तस्वीर को एक व्यंग्यात्मक अंदाज में पेश करती है। जैसे-जैसे आधुनिकता और शहरी चकाचौंध गांव तक पहुँचने लगी है, वैसे-वैसे वहां की सरलता, संस्कृति और आत्मा कहीं खोने लगी है।यह कविता एक आईना है उस बदलाव का, जहां बच्चों की मासूमियत अब “नई शैली” में ढल चुकी है, जहां ‘काका’ अपनी ही बोली भूल चुके हैं, और ‘बाबा’ अब अस्पताल तक सीमित हो गए हैं।”शहर का चलन गांव में पहुँच गया” — ये पंक्ति सिर्फ बदलाव नहीं, बल्कि उस असली ग्रामीण जीवन के खोने का संकेत है, जिसे हमने कभी गर्व से अपनाया था।यदि आप गांव की मिट्टी की सोंधी खुशबू को महसूस करते हैं, तो यह कविता आपको सोचने पर मजबूर कर देगी।

शहर  का  चलन……….
Hindi-English Poem on Village
शहर  का  चलन  गांव  में  पहुँच  गया

गांव  में  भी  रात  को  शोर  मच  गया

शहर  का  चलन  गांव  में  पहुँच  गया

संगीत  चाहे  छूट  गया  पर

शोर  पहुँच  गया 

गांव  का  बच्चा – बच्चा
 
नई  शैली  में  ढल  गया
 
गांव  का  छोरा – छोरी

आजकल  जोड़ी  हो  गया

शहर  का  चलन  गांव  में  पहुँच  गया

कपड़े  की  नई  बड़ी  दुकान  खुल  गई

और  गांव  आज  अधनंगा  हो  गया

खाना  भी  घर  मंगाने  का  चलन  हो  गया
 
और  ‘बाबा’  भी  घर  से

अस्पताल  में  पहुँच  गया
  
बात  करने  के  लिए

जादुई  ‘डब्बा’  हाथ  में  आ  गया
 
पर  ‘काका’  खुद  की  बोली  भूल  गया 

शहर  का  चलन  गांव  में  पहुँच  गया

अंधी  दौड़  में

मेरा  गांव  सफल  हो  गया…………

सुरेश  के
सुर…………



Trend of the city…………
Hindi-English Poem on Village

The trend of the city

 reached the village.

Noise in the village also at night.

The trend of the city

reached the village.

The music may have been missed

but the noise reached. 

Village child – child

adapted to the new style.

Village boy – girl……..

Nowadays it is a couple.

The trend of the city

reached the village.

A new big clothing shop has opened

and the village became

half naked today.

It has also become a trend

to order food at home

and ‘Baba’ also reached from home

 to the hospital.

To talk……….

The magical ‘box’ came into hand

but ‘Kaka’ forgot his own speech. 

The trend of the city

reached the village.

In a blind race,

my village became successful…………

                          Suresh Saini

“शहर का चलन गांव में पहुँच गया” — इस व्यंग्यात्मक कविता का हर शब्द एक गहरी सच्चाई को उजागर करता है। विकास की रफ्तार ने गांवों तक पहुंच तो बना ली, लेकिन साथ ही साथ वहां की आत्मा, संस्कृति और सरलता को पीछे छोड़ दिया।गांव अब शहर की नकल में आगे तो बढ़ रहा है, मगर अपनी पहचान खोता जा रहा है।नई दुकानों, मोबाइलों और शोर-शराबे के बीच अब ‘काका’ की बोली, ‘बाबा’ का अनुभव और बच्चों की मासूमियत कहीं गुम हो गई है।
यह कविता न केवल गांव के बदलते रूप की एक झलक है, बल्कि यह एक सवाल भी छोड़ जाती है — क्या यह बदलाव तरक्की है, या अपनी जड़ों से दूरी की शुरुआत?

इस कविता के लिए एक Share और Comment जरूर करें। 


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