“मेरा क्या है…” एक गहरी, विचारशील
हिंदी कविता है, जिसमें मृत्यु शैय्या पर
लेटा व्यक्ति अपने जीवन, रिश्तों और
‘मेरा’ कहे जाने वाले भ्रम
पर सवाल उठाता है।
दुनिया में कौन किसका सगा है,
यहाँ मुश्किल से मिलती वफा है।
यह कविता एक आईना है उस सच्चाई का,
जिसे हम अक्सर नजरअंदाज करते हैं
रिश्तों की गहराई, और उसमें
छुपी वफा की कमी।